अनोखी दोस्ती
अनोखु दोस्ती
भाग 10
अभी तक आपने पढ़ा
कोयल सेठ रायचंद के यहांँ चली जाती है सेठ राय चंद् को सारी बात बताती हैं।
रायचंद को सब बातें सुनकर बहुत दुख होता है।
वह कोयल से माफी मांगते हैं, और उसको अपने साथ रहने के लिए प्रार्थना करते हैं
अब आगे कोयल का बेटा बिल्कुल विनय जैसा लगता था।
वह अपनी बेटे को पाकर बहुत खुश थी।
उसने अपना सारा समय अपने बेटे की परवरिश में लगाना शुरू कर दिया।
उधर से सेठ रायचंद और रीमा भी बच्चे को पाकर बहुत खुश थे उनकी हवेली में तो मानो रौनक आ गई थी।
कोयल ने अपना सारा गम भुला दिया।
रीमा बेटा कोयल "जल्दी तैयार हो जाओ हमें डॉक्टर के टाइम से 15 मिनट पहले पहुंचना है आज हमें अपने बेटे को चेकअप के लिए लेकर जाना है"।
हांँ हांँ आंँटी अभी आई। "जी आंँटी हम मां बेटे दोनों तैयार हैं चलिए आंँटी!"
हांँ चल चल बेटा हमारे आने के बाद तेरे अंकल जी को वृद्ध आश्रम भी जाना है।
जी आंँटी चलिए।
दोनों अस्पताल के लिए चल देती है।
आंँटी एक बात पूछूं आपसे,
हांँ हांँ एक क्या 10 बात पूछ लो अभी अस्पताल आने में काफी टाइम लगेगा!
आंँटी अंकल जी वृद्धाश्रम क्यों जाते हैं क्या उनका कोई वृद्धाश्रम में है।
नहीं नहीं बेटा ऐसा तो नहीं है। पर" वहांँ रहने वाले हर किसी को वह अपना मानते हैं।
और हर महीने वृद्ध आश्रम को चंदा भी देते हैं उन्हें वहांँ जाकर बहुत अच्छा लगता है"।
उन्हें सबकी मदद करने में खुशी मिलती है देते और जब वह खुश होते हैं तो उन्हें देखकर मैं भी खुश हो जाती हूं।
कोयल खुद से अंकल जी कितने नेक इंसान है मेरा बेटा कितना खुश किस्मत है जो उसकी यहांँ परवरिश हो रही है।
कोयल गाड़ी से बाहर देख रही थी वह सोच रही थी कितना हसीन नजारा है।
ठंडी ठंडी हवा कितनी अच्छी लग रही है भोर कितनी सुहानी लग रही है।
कितनी सारी दुकानें हैं कितनी चहल पहल है।
रीमा कोयल से क्या सोच रही है बेटा?
कुछ नहीं आंँटी बस ताजी हवा का आनंद लें रही हूं।
देख रही हूं "सब अपने परिवार के साथ कितने खुश हैं पर शायद मेरी तो किस्मत में परिवार है ही नहीं"?
"बचपन में मांँ गुजर गई और कैंसर ने पापा को भी छीन लिया।"
सोचा था शादी होने के बाद एक परिवार मिलेगा शादी होने के बाद वह लोग मुझे बहुत प्यार करेंगे परंतु ऐसा कुछ भी नहीं ।
"बेटी धीरज रखो जो ईश्वर ने दिया है उस पर खुश रहो जो ईश्वर ने तुम्हें दिया है कुछ लोगों को तो वह भी नहीं मिलता।
उन लोगों ने तुम्हारे साथ कोई अच्छा व्यवहार नहीं किया उन्होंने तुम्हारे साथ बहुत गलत व्यवहार किया भगवान उन्हें कभी माफ नहीं करेगा उनको उनके करें की सजा अवश्य मिलेगी"।
बाहर का नजारा देखते देखते अचानक उसकी नजर एक कॉफी शॉप पर पड़ी जहांँ पर विनय और सिया एक दूसरे के साथ बैठे हुए थे।
विनय …......आज मैं पूरे 1 साल के बाद विनय को देखा है।
उसने सोचा कि अब तो इन दोनों ने शादी भी कर ली होगी।
और अपना घर बसा लिया होगा।
मुझे इन दोनों के बारे में नहीं सोचना
मुझे इन दोनों की क्या चिंता करनी कौन सा मेरे साथ अच्छा व्यवहार किया है मैं तो अपना पूरा ध्यान अपने बेबी को पालने में लगाती हूं।
आगे से और विनय ने शादी की या नहीं की यह जानने के लिए पढ़िए।
अगला भाग अगर आपको मेरी कहानी अच्छी लग रही है तो अपनी सुंदर-सुंदर समीक्षाएं और इसकी स्टीकर दीजिए
वही मुझे आगे लिखने के लिए प्रोत्साहित करती है।
आपकी समीक्षाओं का मुझे इंतजार रहेगा
धन्यवाद
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
Alka jain
27-Jun-2023 07:54 PM
Nice 👍🏼
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Shnaya
27-Jun-2023 06:48 PM
Nice
Reply
Varsha_Upadhyay
27-Jun-2023 02:51 PM
बहुत खूब
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